“रिश्तों की उलझनें “
नया साल आ चुका है…. लेकिन लोग वही पुराने और उनकी पुरानी आदतें बरकरार है… सोचती हूं कभी तो लोग सोच कर, अपनी सोच खुद बदले, और दुसरो को समझने की शक्ति बढ़ाने की कोशिश करें…. कुछ लोग ऊँचा उठने के लिए किसी भी हद तक गिरने को तैयार है….जो की बहुत बेकार है…. रिश्तों की जमावट आज कुछ इस… Read more →