दिवाली खुशियों का त्योहार

भारत एक ऐसा देश है जहाँ अनेक प्रकार के त्योहारों को बड़ी धूम धाम से मनाया जाता है ऐसा ही एक तोहार है दिवाली| दिवाली हर्षो उल्लास से मनाया जाने वाला त्योहारों है | लोग अपने घरो को दीयो से सजाते है तथा बाजारों की शोभा देखते ही बनती है | बच्चे और बड़े इस दिन खूब सारे पटाके फोड़कर यह जताते है की यह दिन खुशियों का है | मगर अपनी खुशियों के आगे हम यह भूल जाते है कि जाने अनजाने में ही सही हम अपनी पृथ्वी और अपने सवस्थया  को हानि पहुचाते है | इस दिन लोग आसमानो में लाखो के पटाखो  को फूंक देते है | जिससे हमारा वातावरण प्रदूषित हो जाता है | तथा इससे वायु प्रदूषण जैसी समस्या उत्त्पन होती है| पटाको का शोर और जहरीला धुआ साँस के रोगियों के लिये अधिक खतरनाक होता है|  क्यूंकि पटाको की वजह से हवा में हानिकारक कार्बोन की मात्रा बढ़ जाती है एक अनुमान के मुताबिक यह माना जाता है की सामान्य दिनों के मुकाबले दिवाली के दिन पांच गुना ज्यादा प्रदुषण का ग्राफ 1200 से 1400 माइक्रो ग्राम मीटर क्यूब तक पहुच जाता है| एक रिपोर्ट के अनुसार दिवाली के अगले दिन तक 1100 दुसरे दिन 800 और फिर 4 से 5 दिनों के प्रदुषण 284 से 425 माइक्रो ग्राम मीटर क्यूब पर वापस पहुच जाता है पटाको में बारूद , चारकोल , और सल्पर जेसे चेमिकाल्स का इस्तेमाल होता है | जिससे पटाको में चिंगारी , धुँआ और आवाज निकलती है|
दिवाली खुशियों का त्योहार……
प्रदूषण का नहीं …..
इस दिवाली खुशियाँ फैलाऔ ….
धुँआ नहीं ……

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