ओलंपिक खेल अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर आयोजित होने वाला एक ऐसा विराट मेला होता है जिसमें दुनियॉ के प्राय: सभी देशों के खिलाडी भाग लेते हैं इसका आयोजन प्रत्येक चार वर्ष के अंतराल में किया जाता है। भारत 2016 के ग्रीष्मकालीन ओलंपिक रियो डी जनेरियो, ब्राज़िल, 5 से 21 अगस्त, 2016 मे पदक की होड़ मे है भारतीय एथलीटों ने 1920 ग्रीष्मकालीन ओलंपिक के बाद से हर ग्रीष्मकालीन ओलंपिक में भाग लिया है
रियो ओलंपिक में भारत का प्रदर्शन पिछली बार की तुलना में बेहद खराब रहा है. हमें इस बार केवल एक सिल्वर और एक ब्रॉन्ज मेडल से संतोष करना पड़ा है. ऐसे में भारतीय दल के प्रदर्शन की समीक्षा करने के बजाय हम जश्न में डूबे हैं. पदक जीतने वाले खिलाड़ियों पर जैसे कुबेर मेहरबान हो गए हैं. सरकारों ने ऑफर्स की बरसात कर दी है.
भारत में क्रिकेट को छोड़ अन्य किसी खेल को ज्यादा महत्व नही मिलता है, जिससे दूसरे खेलों को स्पांसर मिलने में और उसके विकास में स्वाभाविक दिक्कत आती है. साथ-साथ लड़कियों को खेल से दूर रखना भी भारत में ओलंपिक लायक खिलाड़ी न उत्पन्न होने के बड़े कारणों में से एक है.
दीपा की बात करें तो उनके पास ट्रेनिंग करने के लिए जूते तक नही थे. मामला यहीं तक हो तो एक बात किन्तु, यदि अपने दम पर खिलाड़ी ओलिंपिक के लिए चुने भी जाते हैं और पदक जीत भी लाये तो देश लौटने के बाद उनको दो दिनों का जश्न और छुटकारा पा लिया जाता है, जबकि उसके बाद वे कहां गए, क्या कर रहे हैं, कैसे जीवन गुजार रहे हैं, इससे खेल संघों को कोई मतलब नही होता है. कई बार खिलाड़ी इतने बदहाल हो जाते हैं, कि उन्हें अपना पदक तक बेचना पड़ जाता है. ऐसा नहीं है कि उन खिलाड़ियों के लिए हमारा देश कुछ नहीं करता है, लेकिन जो सुविधाएं और पैसे खिलाड़ियों को मिलने चाहिए, उस पर अधिकारी मौज करते हैं और खिलाड़ी डर्टी खेल पॉलिटिक्स के चक्कर से दूर रहकर बदहाल ज़िन्दगी जीने को मजबूर हो जाते है।
रियो ओलंपिक में खराब प्रदर्शन की कहानी अब आगे में न दोहराई जाए इसके लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक स्पेशल टास्क फोर्स गठित करने का ऐलान किया है. यह टास्क फोर्स टोक्यो में होने वाले अगले ओलंपिक की तैयारियों पर भी नजर रखेगी और खिलाड़ियों को ज्यादा से ज्यादा मेडल लाने के लिए रणनीति बनाएगी.
भारत में खिलाडिंयो की आॊथिक हालत कुछ खास़ नहीं है जिस कारण भारत देश खेल में बहुत पिछे है भारत सरकार को खिलाङियो को जीत हासिल कराने के लिए सभी पृकार के उपकरण देने चाहिए तथा भारत सरकार को खिलाङियो को पुस्कार के साथ-साथ खिलाङियो को हर माह वेतन उपलब्ध कराना चाहिए जिस कारण भारत के खिलाङियो का उत्साह बढेंगा और उनकी सि्थिति भी अच्छी होगी सरकार को उनके लिए कोचिंग सेन्टर व अन्य ऐसी सस्थाऍं खोलनी चाहिए जिससे खिलाङियो का मनोबल ऊचाँ ऊठ सके!!!
धन्यवाद
Raj Bala
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