सपनो की जीत

‘‘क्या पता था आगे बढने कि आस अधूरी रह जाएगी
लोगो कि नजर सिर्फ शरीर के जख्म देख पाएगी
जो गुनाह किया किसी और ने उसकी सजा मुझे मिल जाएगी
सपने पुरे करने कि आजादी भी छीन जाएगी ‘‘
दिल्ली में और पुरे भारत मे बढते रैप कैस मानवता की हर सीमा पार कर चुकी है आप सुबह का अखबार खोले और आपको कोइ ना कोइ रैप की असहज घटना पढने को मिल जाए    और हम आकोश दिखाने के नए नए तरीके भी बखुबी ढुंढ रहे है कभी प्रोफाइल पर काला रंग प्रर्दशित कर कभी रोशन मोमबती की तस्वीर लगा कर  पर क्या प्रोफाइल का अंधेरा एक लडकी के जीवन मे आए अंधेरे को बयान कर सकता है क्या मोमबती की रोशनी उसके जीवन में फिर से रोशनी लाने के लिए  काफी है इन सवालो के जवाब  कई नए सवाल खडे कर देता है कि इन परस्थितियो का जिम्मेदार कौन है या समस्या कैसे सुलझाइ जाए ये सब सोचते विचारते सरकार को दोंषी मान कर बात को आयाा जाया कर देते है 
हम क्यू भूल जाते है कि सरकार से पहले समाज और लोगो कि जिम्मेदारी है समाज में खत्म हो रही नैतिकता को फिर से जिंदा किया जाए बच्चपन से ही लडको ऐसी तालिम दे कि वो औरतो कि इज्जत करें और फिर हम तो हिस्सा है ऐसी संस्कृति का जहा पुरूष का दायित्व होता है की महिलाओ को सम्मान की नजर से देखे उसकी रक्षा करे मगर यह भाव आज कल सिर्फ अपने घर कि महिलाओ तक सिमित है ऐसे मे कुछ लोग यह मानते है महिलाए अपने दायरे से बाहर आ रही है छोटे कपडे पहनती है  देर रात बाहर रहती है तो उनके साथ घटनाए होना स्वभाविक है ऐसी सोच ही जन्म देती है ऐसी भयावह  स्थति को जो पुरूष समाज की बदलती इच्छाओ को जरूरतो को स्वीेकार करती है मगर  महिलाओ की नही वह भी बिना किसी भेद भाव के सम्मान अधिकारांे स्वतंत्रताओ कि भागीदार है वह क्या पहनती है कब आती जाती है  इन आधारो पर चरित्र र्निधारण कर  उनसे उनकी आजाादी  बाधित नही होनी चाहिए समस्या र्सिफ इतनी नही है जरूरत है उन महिलाओ कि मदद करने की जो पिडित है उन्हे खुले मन से अपनाने कि जीवन जी सकने का माहोल देने कि लडकियो शारिरिक इज्जत धूमिल हो जाने पर उनके सपनो को भी दबा दिया जाता है परिवार और समाज उस बात की सजा देता जिसकी वह जिम्मेदार नही है जरूरत है सपनो को वजह बनाने कि जो नया और खुशहाल जीवन मे मदद करे जिसकी पहल सरकार तो कर ही रही है लोगो को भी करनी चाहिए ताकि महिलाओ के सपनो को मंजिले हासिल हो

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