दिवाली शुभता का प्रतीक

भारत को उतसव भूमि कहा जाता है। कहते है हर दिन होली और हर रात दिवाली।  दिवाली को खुशियों का प्रतीक माना जाता है। दिवाली मनाने के पीछे कई पौराणिक मानयताए हैं। इसे बुराई पर अच्छाई की जीत के प्रतीक के रूप में मुख्यता मनाया जाता है । कहा जाता है इस दिन भगवान राम  लंका के राक्षस राजा रावण को पराजित कर भाई लक्ष्मण और धर्म पत्नी सीता के साथ १४ बरस का वनवास काट कर अयोध्या लौटे थे।दिवाली सभी के लिये एक खास उत्सव है क्योंकि ये लोगों के लिये खुशी और आशीर्वाद लेकर आता है।इसे सिक्खों के छठवें गुरु श्रीहरगोविन्द जी के रिहाई की खुशी में भी मनाया जाता है, जब उनको ग्वालियर के जेल से जहाँगीर द्वारा छोड़ा गया।ये वर्षा ऋतु के जाने के बाद शीत ऋतु के आगमन का इशारा करता है। ये व्यापारियों के लिएे  नई शुरुआत की ओर भी इंगित करता है।दिवाली १ दिन का उत्सव नही है। दिपावली 5 दिनों का एक लंबा उत्सव है जिसको लोग पूरे आनंद और उत्साह के साथ मनाते है। दिपावली के पहले दिन को धनतेरस, दूसरे को छोटी दिवाली, तीसरे को दिपावली या लक्ष्मी पूजा, चौथे को गोवर्धन पूजा, तथा पाँचवे को भैया दूज कहते है। दिपावली के इन पाँचों दिनों की अपनी धार्मिक और सांस्कृतिक मान्यताएँ है। वक्त के साथ चाहे कितना भी बदलाव आया हो पर दिवाली को आज भी हर घर में उसी उत्सुकता और परम्पराओ के साथ मनाया जाता है।

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